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कासिम रसूल के खयालात: डर,गुमराही और तशदूद की वजह

अबुल ओला मौदूदी के खिलाफत वाले नजरिए को आगे बढ़ाना, जमाते इस्‍लामी हिन्‍द का हमेशा से ही मकसद रहा है। इसी वजह से, मुल्‍क की आजादी के बाद कई बार जमाते इस्‍लामी हिंद पर पाबंदी लगाई गई है। कश्‍मीर में जमाते इस्‍लामी हिंद पर लगी पाबंदी इस बात की गवाही देता है। SIMI जिस पर भारतीय सरकार ने पाबंदी लगाया था, जमाते इस्‍लामी हिन्‍द का ही हिस्‍सा हुआ करता था। मौजूदा वक्‍त में पी.एफ.आई के राजनीतिक मंच एस.डी.पी.आई की तर्ज पर काम करने वाली जमाते इस्‍लामी की राजनीतिक शाखा वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के अध्‍यक्ष सैयद कासिम रसूल इलियास का भी वही नजरिया है जो पी.एफ.आई की एस.डी.पी.आई का है।

2. भारत में अघोषित रूप से इस एजेंडे को आगे बढ़ाने का काम जमाते इस्‍लामी और अन्‍य तन्‍जीमों द्वारा किया जा रहा हैा इसके लिए इनके द्वारा मुस्लिम कौम के जज्‍बातों से जुड़े मुद्दे उठा कर अपने एजेंडे के लिए माहौल तैयार किया जाता रहा है, जिससे तकसीमी सियासत का कोई भी अवसर ना छूटे। हालिया दिनों में, ज्ञानवापी मामले में भी इस संगठन के राष्‍ट्ऱीय अध्‍यक्ष और ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बॉर्ड की केन्‍द्रीय सलाहकार समिति के सदस्‍य कासिम रसूल द्वारा कई ऐसे बयान दिए गए जिससे मुस्लिम गुमराह हो रहे है। ऐसे ही कुछ और बयान नौजवानों को इस्‍लाम की नेक राह से भटकाने और उन्‍हें तशदूद के लिए भड़का रहे हैं। वहाबी खयालात वाले ऐसे लोगों का मकसद किसी भी तरह से मुल्‍क को तकसीम करने/बांटने का है। यह वामपंथियों का एक एजेंडा है जिसका उद्देश्‍य भारत का विभाजन और खिलाफतवादी सल्‍लतनत की स्‍थापना है।

3. कासिम रसूल पूर्व में सिमी के सदस्‍य के रूप में कार्यरत थे। मुस्लिम मशावरत काउंसिल के महासचिव और बाबरी मस्जिद एक्‍शन कमेटी के संयोजक के पदों पर रहते हुए, इनके द्वारा कई बार विवादस्‍पद बयान दिए गए। 1991 के पूजास्‍थल अधिनियम का हवाला देकर मुस्लिम समुदाय को गुमराह करने वाले बयान देने वाले कासिम रसूल द्वारा नागरिकता कानून, बाबरी मस्जिद पर कानून और तत्‍काल तलाक कानून का विरोध किया जाता रहा है। मुस्लिम अधिकारों की बातें करने वाले कासिम रसूल के द्वारा इस तरह का दोहरा मापदंड अपनाना मुस्लिम समुदाय के साथ धोखा करने के सिवा और कुछ नहीं है।

4. गुमराह करने की सियासत चाहे वो ज्ञानवापी मामले में रही हो या नागरिकता कानून में इन सभी मामलों में इलियास और इन जैसे मुस्लिम वामपंथियों के बयानों द्वारा सिर्फ मुसलमानों खास तौर से नौजवानों को भड़काने और हिंसा की भट्टी में झोंकने का काम किया जा रहा है।

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