कौम व मिल्लत के भाइयों– अस्सलामुअलेकुम–आदाब। हमारा मुल्क भारत विभिन्न धर्मों, जातियों, भाषाओं और रंग–रूप वाला देश है और अनेकता में एकता ही इसकी विशेषता है। परन्तु आज मुल्क जिस दौर से गुजर रहा है, आप अच्छी तरह जानते ही हैं। जाने–अनजाने में मुल्क में नफ़रत, घृणा और असहनशीलता का माहौल पैदा करा दिया गया है। सारी दुनिया एक कुटम (खानदान) और ‘सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान’ कहे जाने वाले हमारे मुल्क में विभिन्न समाजों और धर्मों के बीच पैदा हुई नफ़रत और घृणा को दूर करना हमारा फ़र्ज है।
किसी भी मुल्क में यदि सामाजिक समरसता, शान्ति और सकून का माहौल नहीं है तो वह मुल्क तरक्की नहीं कर सकता है और न ही उस मुल्क के शहरी शान्ति और सकून से रह सकते हैं। इसलिए मुल्क में भाईचारा, आपसी सद्भावना पैदा करने और विभिन्न समाजों के दरम्यान (मध्य) आपसी मेल–जोल बढ़ाने से ही मुल्क में सकून और शान्ति का माहौल पैदा हो सकता है।
अत: हमारी समस्त देशवासियों और शहर के नागरिकों से अपील है कि आपसी भाईचारे को ज्यादा से ज्यादा फ़रोग दें। कौमी एकता, भाईचारा पर गोष्ठियों, सेमीनारों और वार्ताओं का आयोजन करें जिसमें विभिन्न समाजों के लोग भाग लें। हम एक–दूसरे की धार्मिक और सामाजिक भावनाओं का ख्याल रखें। कोई ऐसा काम न करें जिससे किसी दूसरे समाज की भावनाओं को ठेस पहुँचे। किसी भी समस्या पर विवाद पैदा होने पर उसे आपसी वार्ता से सुलझाने का प्रयास करें। स्थानीय बुजुर्ग इसमें अहम रोल अदा करें।
हमें उम्मीद है कि मुल्क और जमात की खुशहाली के फि़करमन्द तथा जागरुक नागरिक हमारी अपील पर ध्यान देकर अपने राष्ट्रीय कर्त्तव्य का निर्वाह करेंगे।