दिल्ली की एक इमारत में आग लगने के हादसे में पिछले माह 43 लोगों की मौत हुई। उनमें से एक बिहार के मुजफ्फ़रपुर जिले के रहने वाला मुशर्रफ नामक व्यक्ति जब आग में बुरी तरह से फंस गया था, तो अपने परिवार में किसी को फोन न करके मोनू अग्रवाल को फोन किया और कहा कि मेरे परिवार को लेकर दिल्ली पहुँच जाना। भरोसे को कायम रखते हुए मोनू डेड बॉडी लेने दिल्ली पहुँचा था।
मोनू ने बाद में बताया कि उन दोनों की दोस्ती खून की रिश्तेदारी और मज़हब से कहीं ऊँची थी। कभी भी हिन्दू मुस्लिम का पता नहीं चला। मोनू ने मुस्लिम परिवार के देखभाल का जिम्मा अपने ऊपर लिया है। यह गंगा-जमुनी तहज़ीब की एक अनूठी मिसाल है।