कुरान में अल्लाह ने खुद को रहीम और रहमान पुकारा है। यह इस बात का संकेत है कि रहम और कृपा को इस्लाम का प्रमुख घटक बताया गया है। इस आधार पर यह भी देखा जाना चाहिए कि नबी मुहम्मद साहब को भी अल्लाह ने ज्ञान के बजाय ‘रहमत’ के नाम से अधिक पुकारा। इस्लाम की मूल आत्मा ‘रहम’ और ‘करम’ पर है और यही मानवता का सार भी है। लेकिन मौजूदा दौर में अतिवाद मानवता और इस्लाम के लिए खतरा बन गया है। जब से अतिवाद का उभार हुआ है, पूरी मानवता धार्मिक कट्टरता से जूझ रही है और कई अन्य धार्मिक कट्टरता की विचारधारा इसके प्रतिकार, नकल और बदले में खड़ी हो गई हैं जिसके कारण इस्लाम, विश्व और मुसलमानों का निजी नुकसान हो रहा है। अत: एक सच्चे मुसलमान को अतिवाद जैसी विचारधारा से लड़ने की आवश्यकता है।
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