अल्लाह के रसूल मोहम्मद और उनके साथियों ने खुद इस्लाम के प्रचार के लिए व्यापार और ज्ञान को प्राथमिकता दी और उन्होंने तालीम और व्यापार के माध्यम से धर्म और धन दोनों हासिल किया जिससे मज़हब को भी काफी फायदा पहुँचा। दुनिया में जितने भी मुल्क महाशक्ति बन चुके हैं, वे सभी आज जिस मुकाम पर हैं, वे कड़े संघर्ष और त्याग के बाद इस ऊँचाई पर पहुँचे हैं। हम सब वाकिफ हैं कि पाकिस्तान इतनी बुरी हालात तक कैसे पहुँचा और बांग्लादेश खुद को इतने ऊँचे स्थान पर कैसे पहुँचाया। इसकी वजह ये है कि पाकिस्तान ने अपने युवाओं के हाथों में कलम के बजाय हथियार थमा दिया और साथ ही साथ धार्मिक अतिवाद को भी अपनी पहचान बना ली। इन्हीं दो कारणों से आज पाकिस्तान तबाह हो गया। लेकिन बांग्लादेश के बुद्धिजीवियों ने अपनी युवा पीढ़ी को तालीम की कमी के बावजूद रोजगार और संघर्ष का मंत्र दिया उन्हें पड़ोसी देशों में नौकरियों और व्यापार करने की ओर बढ़ा दिया। हमलोगों यह जानकर आश्चर्य होगा कि बांग्लादेशियों ने न केवल मलेशिया, इंडोनेशिया, सिंगापुर और थाईलैंड में नौकरियों के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है बल्कि वह इन देशों में बड़े-बड़े व्यवसाय भी चला रहे हैं। आज अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ उन्होंने अपने देश को एक स्थिर स्थिति में ला दिया है। पाकिस्तानियों की तरह उन्होंने लफ्फ़ाजी और आतंकवाद का रास्ता नहीं अपनाया बल्कि संघर्ष और कड़ी मेहनत पर जोर दिया। आज दुनिया खुली ऑंखों से ये देख रही है कि बांग्लादेश कहॉं खड़ा है और पाकिस्तानी कहॉं पहुँच गया है।
इन तमाम जानकारियों से हमें पता चलता है कि दुनिया में विकास और सफलता हथियार और आतंकवाद से नहीं बल्कि कड़ी मेहनत और समर्पण से हासिल होती है।